पाकिस्तान से आए हुमायूँ सईद

-अजय ब्रह्मात्मज

पिछले दिनों एक फिल्म आई जश्न। महेश भट्ट की इस फिल्म में शहाना गोस्वामी ने अपने अभिनय से एक बार फिर लोगों को लुभाया। उनके साथ अमन बजाज की भूमिका में लोगों ने एक नए ऐक्टर को देखा। उसने अपने अभिनय से अमन बजाज के निगेटिव रोल को रिअॅल बना दिया। उसका नाम है हुमायूं सईद। हुमायूं करांची के हैं। वे पाकिस्तान के निहायत पापुलर ऐक्टर हैं। एक्टिंग के साथ टीवी प्रोडक्शन में भी उनका बड़ा नाम है। जश्न की रिलीज के वक्त वे भारत आए थे। फिल्म के प्रस्तोता महेश भट्ट से उनकी जानकारी लेने के बाद जब मैंने उनसे संपर्क किया, तो उन्हें ताज्जुब हुआ कि भला उनमें किसी की रुचि क्यों होगी? बहरहाल वे अगले दिन मिले। अपनी बीवी के साथ मुंबई आए हुमायूं के लिए यह खास मौका था, जब भारतीय मीडिया ने उनके काम की तारीफ की। इस तारीफ से उनके हौसले बढ़े हैं। अगर फिल्मों के मौके मिले, तो दूसरी फिल्में भी करेंगे।
हुमायूं पाकिस्तान में बेहद पापुलर हैं। उन्होंने जब जश्न के लिए महेश भट्ट को हां कहा, तो पाकिस्तानी अखबारों में यह खबर फैल गई। कुछ आलोचकों ने लिखा कि देखें हुमायूं को कैसा रोल मिलता है? हुमायूं इस आशंका की पृष्ठभूमि उजागर करते हैं, पाकिस्तानी आर्टिस्ट हिंदुस्तान की फिल्मों से जुड़ना चाहते हैं। पिछले कुछ वर्षो में उन्हें विभिन्न फिल्मों में देखा गया, लेकिन देखकर पाकिस्तान के लोग खुश नहीं हुए, क्योंकि वे ज्यादातर छोटे-मोटे रोल में ही आए। इसी कारण जब भट्ट साहब ने मुझे ऑफर दिया, तो मैंने उनसे पूछा कि रोल अच्छा है न? मैं पाकिस्तानी प्रशंसकों को निराश नहीं कर सकता था। भट्ट साहब का सीधा सा जवाब था, मियां भरोसा रखो। आपको बुलाया है, तो रोल अच्छा ही होगा। फिल्म में अपने काम को मिली सराहना से हुमायूं खुश नजर आए। हालांकि फिल्म के प्रचार में कभी उनके नाम का उल्लेख नहीं किया गया। हुमायूं इस स्थिति से वाकिफ हैं। समझाने के अंदाज में वे कहते हैं, दोनों देशों के बीच अच्छे रिलेशन नहीं हैं। मैं समझ सकता हूं कि क्यों फिल्म के निर्माताओं ने मेरे नाम और काम का प्रचार नहीं किया! नार्मल स्थिति में फिल्म रिलीज हुई होती, तो कुछ और बात होती। हुमायूं चाहते हैं कि दोनों देशों के बीच कलाकारों और फिल्मों का आना-जाना लगा रहे। वे इस मामले में महेश भट्ट की तारीफ करते हैं, भट्ट साहब कुछ वर्षो से पाकिस्तानी टैलेंट को अपनी फिल्मों में मौके दे रहे हैं। इसके अलावा वे खुद पाकिस्तान आते रहते हैं। उन्होंने फिल्मों के जरिए दोनों देशों को करीब लाने की सुंदर कोशिश की है। हम भी ऐसी कोशिश करते हैं। मैंने जब अना टीवी सीरियल बनाया था, तो यहां से राजीव खंडेलवाल और आमना शरीफ को ले गया था। अब दिसंबर में जाऊंगा, तो यहां के नए टीवी कलाकारों को ले जाऊंगा।
हुमायूं बताते हैं कि मैं बचपन से ही हिंदी फिल्में देखता रहा हूं। दोनों देशों के बीच कोई भी सूरत-ओ-हाल हो जाए, लेकिन हमारे मुल्क के लोग हिंदी फिल्में देखना नहीं छोड़ेंगे। उनके लिए हिंदुस्तान का मतलब ही बॉलीवुड है। मैं खुद अमिताभ बच्चन की फिल्में देख कर बड़ा हुआ हूं। उनकी फिल्मों के जरिए हिंदुस्तान से मेरा परिचय हुआ। बचपन की उन यादों को नहीं भूल सकता। हिंदुस्तान हमारे दिल-ओ-दिमाग में किसी ख्वाब की तरह तारी है। आप लोग अपने स्टारों के बार में जितना जानते हैं, किसी पाकिस्तानी की जानकारी उससे कतई कम नहीं होगी। हिंदी फिल्मों के असर का यह आलम है।

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