फिल्‍म समीक्षा : वार्निंग

Warningपानी में तैरता खौफ
-अजय ब्रह्मात्‍मज
बीच समुद्र में ठहरी नौका, दूर-दूर तक पानी का विस्तार, पानी में तैरते कुछ दोस्त ़ ़ ़ रोमांचित करता है यह परिदृश्य। फिजी के पास समुद्र में नौका विहार के लिए दोस्तों के बीच सालों बाद फिर से मिलने की खुशी है, पुराने रिश्तों का उच्छवास है और है साथ समय बिताने का उत्साह। इस उत्साह में अचानक एक खौफ समा जाता है और फिर शुरू होता है खुद को बचाने का संघर्ष। निर्देशक गुरमीत सिंह ने दोस्तों के इस एडवेंचर को खौफनाक रूप दिया है।
निर्देशक ने स्वयं के लिए ही चुनौती चुन ली है। सीमित दायरे में ही उन्हें सात किरदारों की ऐसी रोचक कहानी कहनी है, जो बीच समुद्र में तैरते-उपलाते आसन्न मौत के आगे विवश हैं। पानी में छलांग लगाने के थोड़ी देर के बाद उन्हें एहसास हो जाता है कि एक छोटी सी चूक से उन्होंने बड़ा जोखिम ले लिया है। वे वापस नौका में नहीं जा सकते। जब खौफ बड़ा हो और मौत निश्चित तो रोमांच बनाए रखने के लिए युक्तियों की जरूरत पड़ती है। गुरमीत सिंह आखिरकार अपने प्रयास में सफल होते हैं। हालांकि आरंभ में सब कुछ ठहरा और शिथिल जान पड़ता है। कुछ निर्देशक शुरू से चौंकाना और डराना आरंभ कर देते हैं। उनके विपरीत गुरमीत धीमी चाल से आगे बढ़ते हैं और खौफ रचते हैं।
'वार्निग' में लगभग सभी नए कलाकार हैं। केवल वरुण शर्मा और मंजरी फडनीस को हम पहले देख चुके हैं। मधुरिमा तुली,सुमित सूरी,संतोष बरमोला,जितिन गुलाटी और सुजाना रोड्रिग्‍स को हम पहली बार पर्देपर देखते हें।.नएपन के बावजूद सभी कलाकारों के परस्पर तालमेल से दृश्य रोचक हुए हैं। खौफ के एहसास के बाद उनके चेहरे पर आया डर इस फिल्म की खूबी है। पानी में तैरते हुए ही उन्हें सारे भाव व्यक्त करने थे। इस सीमा के बावजूद वे फिल्म की गति बनाए रखते हैं। पानी के हिलकोरों के बीच उनकी आशंकाओं और भावनाओं की हिलोरें भी उठती हैं। अपनी बेबसी में वे लड़ते-झगड़ते भी हैं, लेकिन बचे और बचाए रखने में एक-दूसरे की मदद भी करते हैं। कहीं-कहीं तर्क और कारण का खयाल नहीं रखा गया है।
हिंदी में 'वार्निग' अपने ढंग की पहली फिल्म है। निर्माता-निर्देशक का साहसिक प्रयास सराहनीय है। यह फिल्म नए किस्म का अनुभव देती है।
अवधि - 109 मिनट
** 1/2 ढाई स्‍टार

Comments

Anonymous said…
i think its good but not for indian audience
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