अपेक्षाएं बढ़ गई हैं प्रेमियों की-शशांक खेतान


-अजय ब्रह्मात्मज
    धर्मा प्रोडक्शन की ‘हंप्टी शर्मा की दुल्हनिया’ के निर्देशक शशांक खेतान हैं। यह उनकी पहली फिल्म है। पहली ही फिल्म में करण जौहर की धर्मा प्रोडक्शन का बैनर मिल जाना एक उपलब्धि है। शशांक इस सच्चाई को जानते हैं। ‘हंप्टी शर्मा की दुल्हनिया ’ के लेखन-निर्देशन के पहले शशांक खेतान अनेक बैनरों की फिल्मों में अलग-अलग निर्देशकों के सहायक रहे। मूलत: कोलकाता के खेतान परिवार से संबंधित शशांक का बचपन नासिक में बीता। वहीं पढ़ाई-लिखाई करने के दरम्यान शशांक ने तय कर लिया था कि फिल्मों में ही आना है। वैसे उन्हें खेल का भी शौक रहा है। उन्होंने टेनिस और क्रिकेट ऊंचे स्तर तक खेला है। शुरू में वे डांस इंस्ट्रक्टर भी रहे। मुंबई आने पर उन्होंने सुभाष घई के फिल्म स्कूल ह्विस्लिंग वूड्स इंटरनेशनल में दाखिला लिया। ज्यादा जानकारी न होने की वजह से उन्होंने एक्टिंग की पढ़ाई की। पढ़ाई के दरम्यान उनकी रुचि लेखन और डायरेक्शन में ज्यादा रही। टीचर कहा भी करते थे कि उन्हें फिल्म डायरेक्शन पर ध्यान देना चाहिए। दोस्तों और शिक्षकों के प्रोत्साहन से शशांक ने ‘ब्लैक एंड ह्वाइट’ और ‘युवराज’ में सुभाष घई के इंटर्न रहे। बाद में वे यशराज फिल्म्स से जुड़े। वहां ‘इश्कजादे’ में एक छोटी भूमिका भी निभा ली। इन पड़ावों से गुजरते हुए वे अपने लक्ष्य से अलग नहीं हुए। फिल्म की पढ़ाई खत्म करने के बाद उन्होंने एक्टिंग के अपने शिक्षक नसीरुद्दीन शाह के साथ थिएटर भी किया।
    शशांक अपनी यात्रा और फिल्मी शिक्षा में नसीरुद्दीन शाह की बड़ी भूमिका मानते हैं। वे कहते हैं, ‘ह्विस्लिंग वूड्स से निकलने के बाद भी मैं नसीर सर के साथ जुड़ा रहा। उनसे बहुत कुछ सीखा। अपनी बात रियलिस्टिक तरीके से रखना आया। उनकी ट्रेनिंग के बाद मुझे करण जौहर के साथ काम करने का मौका मिला। कुछ लोगों को यह विरोधाभाषी लग सकता है। मैं इसे अपना सौभाग्य मानता हूं। मेरी फिल्म में दर्शक नसीर और करण दोनों का सम्मिलित प्रभाव देखेंगे। सिचुएशन और रिएक्शन नसीर सर की सोच के मुताबिक है और उनका फिल्मांकन करण जौहर से प्रभावित है। रियलिस्टिक कहानी को करण जौहर ने भव्यता दे दी है। करण के अनुभव से मेरी फिल्म को बहुत फायदा हुआ है। ज्यादा दर्शकों तक पहुंचने के लिए जरूरी तत्व उन्हीं की सलाह से आए।’
    ‘हंप्टी शर्मा की दुल्हनिया’ के बारे में बताते हुए शशांक खेतान दो फिल्मों का जिक्र करते हैं, ‘मैंने 13 साल की उम्र में ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ देखी थी। उस फिल्म ने मुझे झकझोर दिया था। मेरी पीढ़ी के दर्शकों के लिए वह फिल्म ‘मुगलेआजम’ थी। कह सकता हूं कि अगर वह फिल्म नहीं आई होती तो मैं फिल्मों में नहीं आया होता। मेरी फिल्म ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ को समर्पित है। फिल्मों की पढ़ाई के समय मैंने ‘कसाबलांका ’ देखी थी। वह गजब की रोमांटिक फिल्म है। इन दोनों फिल्मों का असर यह हुआ कि मैंने तय कर लिया कि मेरी पहली फिल्म रोमांटिक ही होगी। ‘हंप्टी शर्मा की दुल्हनिया’ की शुरुआत इसी विचार से हुई। शुरू में मैं इसे कॉन स्टोरी बना रहा था। बाद में लगा कि हंप्टी और काव्या इतने प्यारे हैं कि वे ठग नहीं हो सकते।  उन्हें फिर से लिखना शुरू किया और यह फिल्म बनी।’
    शशांक खेतान की फिल्म कहीं न कहीं उनके अपनी जीवन से भी प्रभावित है। शशांक उन चंद भाग्यशालियों में से हैं जिन्होंने जिस लडक़ी से बचपन से प्रेम किया बाद में उसी से शादी की। वे स्वीकार करते हैं, ‘सच्चा प्रेम होता है। मैं और मेरी पत्नी इसके उदाहरण हैं। हम दोनों के प्रेम से यह जाहिर होता है कि आज के समय में भी प्रेम एक शाश्वत भाव है। मैं इस विचार को मानता हूं कि प्रेम है और सच्चा प्रेम हमेशा रहेगा। मैं नई पीढ़ी के युवकों की बात नहीं मानता कि आज के समय में प्रेम संभव नहीं है। मुझे जरूरी लगा कि ऐसी फिल्म बननी चाहिए जिसमें सच्चे प्रेम की बात की जाए। मेरी चुनौती यही थी कि इसे आज के जमाने में कैसे पेश करूं। मैं इसको मेलोड्रामा नहीं बनाना चाहता था। मेरी फिल्म में दोनों को अपने प्रेम के लिए किसी से लडऩे-झगडऩे की जरूरी नहीं पड़ती।’
    ‘हंप्टी शर्मा की दुल्हनिया’ में मेलोड्रामा का न होना ही करण जौहर को अधिक पसंद आया। उन्होंने शशांक खेतान की स्क्रिप्ट चुनी और उन्हें निर्देशन का मौका दिया। शशांक गर्व भाव से बताते हैं, ‘मैंने धर्मा प्रोडक्शन में अपनी स्क्रिप्ट भेज दी थी। यहां की टीम को मेरी स्क्रिप्ट पसंद आयी। मुझे बुलाया गया। करण जौहर से वह मेरी पहली मुलाकात थी। मैंने अनुमान नहीं किया था कि मुझे पहली फिल्म इतनी आसानी से मिल जाएगी। करण ने मुझे कहा भी था कि उन्हें मेरी फिल्म इसीलिए पसंद आई कि उसमें मेलोड्रामा नहीं है। उन्होंने कहा कि आप ही डायरेक्ट करो।’ शशांक आगे कहते हैं, ‘गौर करें तो प्रेम का भाव बदला नहीं है। हां, प्रेमियों की अपेक्षाएं बदल रही हैं। उनके ऊपर इतने किस्म के दबाव हैं कि वे तनाव और प्रभाव में तत्क्षण फैसले ले लेते हैं। मुझे मालूम है उनमें से कई बाद में बहुत पछताते हैं। ‘हंप्टी शर्मा की दुल्हनिया’ यह बताने की कोशिश है कि बगैर अपेक्षाओं के भी प्रेम किया जा सकता है।’
    अपने कलाकारों के चयन के बारे में शशांक कहते हैं, ‘मैंने ‘स्टूडेंट ऑफ द ईयर’ देखी थी। उन दिनों मैं अपनी फिल्म की स्क्रिप्ट लिख रहा था। मुझे वरुण धवन और आलिया भट्ट कुछ दृश्यों में बहुत प्रभावशाली लगे थे। मैंने तभी सोचा था कि मेरी फिल्म में यदि ये दोनों होंगे तो मेरी बात सही तरीके से पर्दे पर आएगी। फिल्म लिखते समय अपनी किरदारों मे मैं उन्हीं दोनों को देखता रहा था। यह भी एक संयोग है कि मुझे अपनी फिल्म के लिए मनचाहे सितारे मिल गए। ’

  

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