फिल्‍म समीक्षा : हेट स्‍टोरी 2

 -अजय ब्रह्मात्‍मज 
           यह पिछली फिल्म की सीक्वल नहीं है। वैसे यहां भी बदला है। फिल्म की हीरोइन इस मुहिम में निकलती हैं और कामयाब होती हैं। विशाल पांड्या की 'हेट स्टोरी 2' को 'जख्मी औरत' और 'खून भरी मांग' जैसी फिल्मों की विधा में रख सकते हैं। सोनिका अपने साथ हुई ज्यादती का बदला लेती है। विशाल पांड्या ने सुरवीन चावला और सुशांत सिंह को लेकर रोचक कहानी बुनी है। फिल्म की सबसे बड़ी खूबी है कि अंत तक यह जिज्ञासा बनी रहती है कि वह मंदार से प्रतिशोध कैसे लेगी?

सीक्वल और फ्रेंचाइजी में अभी तक यह परंपरा रही है कि उसकी कहानी, किरदार या कलाकार अगली फिल्मों में रहते हैं। 'हेट स्टोरी 2' में विशाल इस परंपरा से अलग जाते हैं। उन्होंने बिल्कुल नई कहानी और किरदार लिए हैं। उनके कलाकार भी नए हैं। इस बार सोनिका (सुरवीन चावला) किसी मजबूरी में मंदार (सुशांत सिंह) की चपेट में आ जाती है। भ्रष्ट, लोलुप और अत्याचारी मंदार उसे अपनी रखैल बना लेता है। वह उसकी निजी जिंदगी पर फन काढ़ कर बैठ जाता है। स्थिति इतनी बदतर हो गई है कि सोनिका अपनी मर्जी से कुछ भी नहीं कर सकती है। उसके ताजा प्रेम को मंदार बर्दाश्त नहीं कर पाता। सोनिका को फिर से अपनी गिरफ्त में लेने के लिए वह सीधी खतरनाक चाल चलता है। मौत के करीब पहुंच चुकी सोनिका जिंदगी में वापस लौटती है। अब उसका एक ही मकसद है। मंदार और उसके साथियों का सफाया।
अगर हम ऐसी कहानियों की सामाजिकता, कानूनी दांव-पेंच और तर्क पर गौर करें तो हिंदी की अनेक फिल्में लचर साबित होंगी। 'हेट स्टोरी 2' भी इन कमियों की शिकार है। इन कमियों के बावजूद विशाल पांड्या ने 'हेट स्टोरी 2' को दो किरदारों के आमने-सामने की लड़ाई बनाकर इसे इंटरेस्टिंग तरीके से रचा है। सुरवीन चावला और सुशांत सिंह ने अपने किरदारों को ढंग से आत्मसात किया है। वे जरूरी भावों और अभिनय की वजह से प्रभावित करते हैं। हिंदी फिल्मों की अपेक्षाकृत नई अभिनेत्री सुरवीन चावला ने सोनिका की जद्दोजहद और बदले की भावना जाहिर करने में असरदार हैं। 'हेट स्टोरी 2' में सुशांत सिंह ने अपने दमदार अभिनय से किरदार के प्रति दर्शकों में नफरत पैदा की है। यही निगेटिव किरदार की सफलता होती है। लंबे समय के बाद पर्दे पर उन्हें देखकर यह कसक हो सकती है कि उन्हें लगातार मौके क्यों नहीं मिलते? जय भानुशाली की भूमिका छोटी है। उन्हें अधिक दृश्य और अवसर नहीं मिले हैं।
     पिछली फिल्म की वजह से यह धारणा बन सकती है कि ‘हेट स्टोरी 2’ भी पहली की तरह अश्लील या इरोटिक होगी, लेकिन ऐसा नहीं है। यह फिल्म पूरी तरह से बदले की कहानी है, जिसमें एक अत्याचारी पुरुष के खिलाफ स्त्री की जंग है। इस जंग में अप्रत्यक्ष रूप से औरतों का पक्ष भी आता है। उनका बहनापा और सहयोग भी दिखता है। अपने संवादों में ‘हेट स्टोरी 2’ औरतों के पक्ष में अघोषित सवाल भी खड़ा करती है। आखिर क्यों उन्हें हर काम करना ‘पड़ता’ है। उनकी मर्जी और चाहत को पुरुष प्रधान समाज हमेशा नजरअंदाज करता है।
अवधि-129 मिनट 
तीन स्‍टार ***

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