मन के काम में मजा है -अजय देवगन


-अजय ब्रह्मात्मज
पिछले दिनों अजय देवगन हैदराबाद की रामोजी राव फिल्मसिटी में ‘सिंघम रिटन्र्स’ की शूंटिंग कर रहे थे। यह 2011 में आई ‘सिंघम’ का सिक्वल है। अब बाजीराव सिंघम गोवा से ट्रांसफर होकर मुंबई आ गया है। यहां उसकी भिड़ंत अलग किस्म के व्यक्तियों से होती है। ये सभी राजनीति और सामाजिक आंदोलन की आड़ में अपने स्वार्थो में लगे हैं। हैदराबाद की रामोजी राव फिल्मसिटी रोहित शेट्टी को प्रिय है। वे यहां के नियंत्रित माहौल में शूूटिंग करना पसंद करते हैं। काम तेजी से होता है और लक्ष्य तिथि तक फिल्म पूरी करने में आसानी रहती है। ‘सिंघम रिटन्र्स’ 15 अगस्त को रिलीज होगी।
    अजय देवगन पिछले कुछ समय से आजमाए हुए सफल निर्देशकों के साथ ही काम कर रहे हैं। रोहित शेट्टी के साथ उनकी खूब छनती है। फिल्मों में आने से पहले की उनकी दोस्ती का आधार परस्पर विश्वास है। ‘चेन्नई एक्सप्रेस’ के अलावा रोहित शेट्टी ने मुख्य रूप से अजय देवगन के साथ ही काम किया है। दोनों की जोड़ी हिट और सफल है। उन्होंने ‘सिंघम’ की शूटिंग 45 दिनों में कर ली थी। इस बार ़3 दिनों का ज्यादा समय मिला है। ‘सिंघम रिटन्र्स’ फलक और गहराई में पहली से बड़ी हो गई है। बाजीराव सिंघम गोवा में एसीपी था। मुंबई आने के बाद प्रमोशन पाकर वह डीसीपी हो गया है। जिम्मेदारियों के साथ चुनौतियां भी बढ़ गई हैं। सिंघम के प्रभाव से अजय देवगन वाकिफ हैं। वे बताते हें कि नासिक में एक बार एक गांव के लोगों ने अपने थाने के इंस्पेक्टर के बारे में बताया कि यह हमारे गांव का सिंघम है। इसने यहां के एमएलए को मारा था। वे कहते हैं पुलिस अधिकारियों के लिए सिंघम विशेषण बन चुका है। यही कारण है कि सफलता के बावजूद वे सिक्चल और फ्रेंचाइज फिल्मों की हडग़ड़ी में नहीं रहते। अजय देवगन कहते हैं,‘सही स्क्रिप्ट की तलाश रहती है। आश्वस्त होने के बाद ही हम नई फिल्म पर काम करते हैं। एक अनकहा दबाव रहता है कि दर्शक निराश न हों। इसे लिखने में डेढ़ साल लगे हैं। दक्षिण में सूर्या की ‘सिंघम’ की सिक्वल आ चुकी है। इस बार हम ने उन्हें बता दिया है कि हम कहानी अलग दिशा में ले जा रहे हैं। ’
    बातचीत के दरक्यान अजय देवगन बताते हैं कि ‘सिंघम’ बच्चों और औरतों के बीच काफी पॉपुलर रही है। औरतों के बीच फिल्म की पॉपुलैरिटी के बारे में उनकी राय है कि आज औरतों के बीच अधिक गुस्सा है। वे ादियों से दबी-सहमी ाही हैं। अब उन्हें मौका मिल रहा है। उन्हें बाजीराव सिंघम की ईमानदारी और पारिवारिक मूल्यों के प्रति आस्था अच्छी लगी होगी। वे आगे कहते हैं,‘बच्चों को तो एक्शन पसंद आता है। उनकी वजह से ही हम अपनी फिल्मों में पर्दे पर खून नहीं दिखाते हैं। हमारी फिल्मों में एक्शन हिंसक और खूंरेज नहीं होता।’ इस बार करीना कपूर आ गई हैं। क्या करीना कपूर भी एक्शन करती दिखेंगी? अजय कहते हैं,‘एक्शन है,लेकिन वह कूद-फांद या मारधाड़ नहीं है। उनका किरदार आक्रामक है। कुछ भी गलत होता देख वह उखड़ जाती है।’
    एक्शन अब पहले से आसान और सुरक्षित हो गया है। अजय देवगन अपनी फिल्मों में एक्शन के लिए मशहूर रहे हैं। पहली फिल्म से बनी इमेज अभी तक बरकरार है। वे बताते हैं,‘अभी केबल और वायर से सुरक्षा बढ़ गई है। मुझे वायर वगैरह बांधने में आलस्य लगता है। मैं आज भी चाहता हूं कि पहले की तरह ही एक्शन कर लूं। अभी लोग मना करते हैं। पहले चार माले तक की ऊंचाई से कूद जाया करते थे। हालांकि उसकी वजह से वोटें भी आई हैं।’ यह बताने के साथ वे कमर में लगाए आइस पैक निकाल कर दिखाते हैं। हमें आश्चर्य होता है कि इतनी तकलीफ में तो सामान्य व्यक्ति बिस्तर पकड़ लेता है,जबकि अजय देवगन शूटिंग और बातचीत कर रहे हैं। वे समझाते हैं,‘जिस काम में मजा आता है,उस काम की तकलीफ दर्द नहीं देती।’
    23 सालों के करिअर में हर तरह और विधा की फिल्में कर चुके अजय देवगन ‘जख्म’ के किदार अजय को अपने अधिक करीब पाते हैं। इस फिल्म के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था।  महेश भट्ट की आत्मकथात्मक ‘जख्म’ 1998 में आई थी। अजय बताते हैं,‘फिल्म की कहानी ने मुझे इस कदर छुआ था कि मैंने भट्ट साहब से अनुमति मांगी थी कि मुझ से किसी एक्टिंग की मांग न करें। मुझे खुद में रहने दें। अगर किरदार की पीड़ा चेहरे पर नजर आ गई तो ठीक ,वर्ना अपना बैड लक। उनके गो अहेड कहने से फिल्म इतनी सुंदर बनी और मुझे नेशनल अवार्ड मिला।’ अजय ‘जख्म’ जैसी और भी फिल्में करना चाहते हैं। उन्हें वैसी कोई स्क्रिप्ट नहीं मिल पा रही है। हां,उन्होंने तय किया है कि वे जल्दी ही फिर से निर्देशक की कुर्सी पर बैठेंगे। इस फिल्म की स्क्रिप्ट लिखी जा रही है। उनके निर्देशन में बनने वाली फिल्म में इस बार काजोल नहीं होंगी।
   

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