पूरी हुई ख्‍वाहिश - नवाजुद्दीन सिद्दीकी


-अजय ब्रह्मात्मज
श्रीराम राघवन की फिल्म ‘बदलापुर’ के प्रचार के लिए नवाजुद्दीन सिद्दिकी को अपनी फिल्मों की शूटिंग और अन्य व्यस्तताओं के बीच समय निकालना पड़ा है। वे इस आपाधापी के बीच फिल्म इंडस्ट्री के बदलते तौर-तरीकों से भी वाकिफ हो रहे हैं। उन्हें अपने महत्व का भी एहसास हो रहा है। दर्शकों के बीच उनकी इमेज बदली है। वे ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ के समय से कई कदम आगे आ गए हैं। जब भीड़ में थे तो पहचान का संघर्ष था। अब पहचान मिली है तो भीड़ घेर लेती है। भीड़ और पहचान के इस द्वंद्व के साथ नवाज लगातार आग बढ़ते जा रहे हैं। ‘बदलापुर’ में वे वरुण धवन के ऑपोजिट खड़े हैं। इस फिल्म में दोनों के किरदार पर्दे पर पंद्रह साल का सफर तय करते हैं।
    श्रीराम राघवन ने करिअर के आरंभ में रमण राघव की जिंदगी पर एक शॉर्ट फिल्म बनाई थी। इस फि ल्म से नवाज प्रभावित हुए थे। बाद में उनकी ‘एक हसीना थी’ देखने पर उन्होंने तय कर लिया था कि कभी न कभी उनके साथ काम करेंगे। दोनों अपने संघर्ष में लगे रहे। यह संयोग ‘बदलापुर’ में संभव हुआ। नवाज बताते हैं,‘एक दिन मुझे फोन आया कि आकर मिलो। तुम्हें एक स्क्रिप्ट सुनानी है। मैं गया तो उन्होंने दो पंक्तियों में फिल्म के थीम की जानकारी दी।’ हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में वन लाइन स्टोरी बतायी और सुनायी जाती है। लेखक-निर्देशक की वन लाइन स्टोरी सुनने के बाद ही निर्माता और स्टार जुड़ते हैं। श्रीराम राघवन ने तो टू लाइन सुना दी थी। पूछने पर नवाज बताते हैं,‘वह टू लाइन स्टोरी इतनी थी कि अच्छे-बुरे दो किरदार है? दोनों किरदारों में फिल्म के दौरान ट्रांसफॉर्मेशन होता है।’ यों इन वन-टू लाइन के साथ निर्देशक यह भी बताता है कि उसका ट्रीटमेंट क्या होगा और फिल्म कैसे आगे बढ़ेगी? बहरहरल,नवाज को श्रीराम के साथ काम करना था और उन्हें पक्का यकीन था कि वे कुछ नया करने का मौका देंगे।
    श्रीराम ने नवाज से बिल्कुल अलग तरीके से काम लिया। वे नवाज को दृश्य बता देते थे और उन्हें खुद ही सिचुण्शन के अनुसार संवाद बोलने की आजादी दे देते थे। पहले से कुछ भी लिखा नहीं होता था। श्रीराम के सुझाव और नवाज की समझ से ही शूटिंग के दौरान संवाद रचे गए। निर्देशकों को अमूमन अपने एक्टरों पर ऐसा भरोसा नहीं होता। सभी जानते हैं फिल्ममेकिंग महंगी प्रक्रिया है। अगर मनपसंद शॉट न मिले तो मेहनत और पैसों की बर्बादी होती है। नवाज कहते हैं,‘मुझे कैरेक्टर मालूम था। सिचुएशन और सीन मिलने पर श्रीराम के बताए भाव के अनुसार मैं कुछ बोलता था,उन्हें ही संवादों के रूप में रख लिया गया।’ ‘बदलापुर’ में नवाज का किरदार अजीबोगरीब है। वह चाहता कुछ और है,लेकिन कहता कुछ और है। नवाज बताते हैं कि यह मेरे लिए चैलेंज था।
    बातचीत के दरम्यान नवाज रोचक जानकारी देते हैं कि डेविड धवन ने मुझे ‘मैं तेरा हीरो’ के लिए बुलाया था। उसमें मुझे अरुणोदय सिंह वाली भूमिका मिली थी,लेकिन तारीखों की दिक्कत की वजह से मुझे वह फिल्म छोड़नी पड़ी। मुझे अफसोस रहा कि डेविड सर के साथ कॉमेडी नहीं कर सका। ‘बदलापुर’ में वरुण धवन मिल गए। वरुण के बारे में वे कहते हैं,‘जैसे मेरी इच्छा डेविड सर के साथ काम करने की थी,वैसे ही वरुण मेरे साथ काम करना चाहते थे। देखिए उनकी इच्छा पूरी हो गई। वरुण अपनी पीढ़ी के अलहदा अभिनेता हैं। उनमें सीखने की ललक है। कुछ नया करना चाहते हैं। शूटिंग के दौरान वे मुझ से पूछते रहते थे और मैं उन्हें निहारता रहता था। हम दोनों के बीच के बनते-बदलते रिश्ते और उनके तनाव में दर्शकों को भरपूर रोमांच मिलेगा।’   

Comments

Popular posts from this blog

तो शुरू करें

फिल्म समीक्षा: 3 इडियट

फिल्‍म समीक्षा : आई एम कलाम