भारतीय अभिनेत्री हूं - प्रियंका चोपड़ा




-अजय ब्रह्मात्‍मज
अकादेमी अवार्ड यानी ऑस्‍कर पुरस्‍कार की रात प्रियंका चोपड़ा का आत्‍मविश्‍वास देखने लायक था। उन्‍होंने भारतीय लुक के साथ विदेशी पहनावे का आकर्षक तालमेल बिठाया था। उस लिबास में वह बेहद खूबसूरत और मुखर दिख रही थीं। हिंदी फिल्‍मों की अभिनेत्रियों में प्रियंका चोपड़ा करिअर के ऐसे मुकाम पर हैं,जहां वह जिधर भी कदम बढ़ाएं,उधर एक अवसर तैयार है। -बाजीराव मस्‍तानी में काशीबाई की भूमिका में सराहना बटोरने के साथ ही उन्‍होंने क्‍वैंटिको में पेरिस एलेक्‍स की भूमिका में विदेशी दर्शकों को भी प्रभावित किया। उन्‍हें पीपल्‍स च्‍वाॅयस अवार्ड मिला। फिर खबर आई की वह मशहूर टीवी शो बेवाच पर आधारित फिल्‍म के लिए चुन ली गई हैं। इस फिल्‍म में उनकी निगेटिव भूमिका होगी। हिंदी फिल्‍मों में ऐतराज और 7 खून माफ में हम उनकी निगेटिव अदाकारी देख चुके हें।बेवाच में इस बार भाषा का फर्क होगा। क्‍वैंटिको में उनका रोल एक्‍शन से भरपूर है।
प्रकाश झा निर्देशित जय गंगाजल में भी वह एक्‍शन करती नजर आ रही हैं। इस फिलम में उन्‍होंने ईमानदार आईपीएस अधिकारी आभा माथुर का किरदार निभाया है। बांकीपुर की बहाली के बाद अाभा माथुर का मुकाबला वहां पहले से कार्यरत भ्रष्‍ट पुलिस अधिकारियों और नेताओं से होता है। वह कानून का पालन करती हुई नागरिकों के पक्ष में खढ़ी होती है। प्रियंका चोपड़ा आभा माथुर और जय गंगाजल के बारे में बताती हैं, प्रकाश जी ने मुझे इस फिल्‍म के बारे में बताया था,लेकिन मैं बाजीराव मस्‍तानी और क्‍वैंटिको की तैयारी की वजह से समय नहीं निकाल पा रही थी। प्रकाश जी से बात हुई। मैंने कहा भी कि मेरे अलावा यह रोल कोई और नहीं कर सकता। प्रकाश जी ने पलट कर कहा कि तुक्‍हारे पास समय हो तब न?  आखिरकार समय मिला और जय गंगाजल पूरी हुई। मैंने सबसे कम समय में यह फिल्‍म पूरी की। सिर्फ 35 दिनों की शूटिंग हुई थी। प्रकाश जी की यूनिट बहुत अच्‍छी है। पूरी तैयारी के साथ वे सेट पर रहते हें। समय बिल्‍कुल बर्बाद नहीं होता।वह आगे कहती हैं, मुझे आभा माथुर के किरदार में बहुत कुछ करने और दिखाने का मौका मिला। आभा माथुर लखनऊ की की पली-बढ़ी तहजीबदार लड़की है। वह वर्दी पहनने के बावजूद अपना फेमिनिज्‍म नहीं भूलती। इस किरदार की तैयारी के समय प्रकाश जी से सहमति बनी थी कि उसे वैसे ही पेश करना है। वह भावुक है,लेकिन अपने कर्तव्‍य के आगे किसी की नहीं सुनती। झुकना वह नहीं जानती। यूनफार्म पहनने पर तो यों भी चाल बदल जाती है। आभा माथुर तो आईपीएस अधिकारी है। फिलम के एक्‍शन दृश्‍य मैंने खुद किए हैं। मुझे अच्‍छा लगा।
इस फिल्‍म में उनके साथ और सामने प्रकाश झा हैं। उनके बारे में वह कहती हैं,बतौर डायरेक्‍टर प्रकाश झाा को सभी जानते हैं। वे हिंदी समाज के ज्‍वलंत मुद्दों पर बोल्‍ड पॉलिटिकल फिल्‍में बनाते हैं। इस फिल्‍म में भी करप्‍शन,पुलिस-पॉलिटिशियन नेक्‍सस और किसानों की आत्‍महत्‍या का मामला है। प्रकाश झा ने जय गंगाजल में इन मुद्दों को आज का संदर्भ दिया है। रही बात अएक्‍टर प्रकाश झाा की तो अभिनय के मामले मैं उनसे सीनियर हूं। हमारा हंसी-मजाक चलता रहता था। उन्‍होंने खुद के लिए एक जटिल किरदार चुना और उसे अच्‍छी तरह निभाया। मुझे तो लगता है कि उन्‍हें अभिनय के और भी अवसर मिल सेते हें।
हालीवुड की अपनी उपलब्धियों से खुश प्रियंका चोपड़ा जासेर देकर कहती हैं, मैं यह मानती हूं और सभी को बताना चाहती हूं कि मैं अमेरिकी भारतीय यानी भारतीय मूल की अेरिकी अभिनेत्री नहीं हूं। मैं भारतीय भारतीय हूं यानी मैं भारतीय मूल की भारतीय अभिनेत्री हूं। मैं अपनी भारतीय पहचान बनाए रखूंगी। मैंने पहले भी कहा है कि मुझे जो भी मिला है,वह भारतीय और हिंदी फिल्‍मों की अभिनेत्री होने से मिला है। मैं इस पहचान को नहीं छोड़ सकती। 

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