दरअसल : पक्ष और निष्‍पक्ष



दरअसल...
पक्ष और निष्‍पक्ष
-अजय ब्रह्मात्‍मज
पिछले दिनों सोनू निगम अपने पक्ष को रखने की वजह से चर्चा में रहे। उसके कुछ दिनों पहले सुशांत सिंह राजपूत अपना पक्ष नहीं रखने की वजह से खबरों में आए। फिल्‍म जगत के सेलिब्रिटी आए दिन अपने पक्ष और मंतव्‍य के कारण सोशल मीडिया,चैनल और पत्र-पत्रिकाओं की सुर्खियों में रहते हैं। कुछ अपने अनुभवों और मीडिया मैनेजर के सहयोग से बहुत खूबसूरती से बगैर विवादों में आए ऐसी घटनाओं से डील कर लेते हैं। और कुछ नाहक फंस जाते हैं। अभी एक नया दौर है,जब सारे मंतव्‍य राष्‍ट्रवाद और सत्‍तासीन राजनीतिक पार्टी के हित के नजरिए से आंके जाते हैं। नतीजतन अधिकांश सेलिब्रिटी किसी भी मुद्दे पर अपना पक्ष रखने से बचते हैं। वे निष्‍पक्ष और उदासीन होने का नाटक करते हैं। आप अकेले में मिले तो ऑफ द रिकॉर्ड वे अपनी राय शेयर करते हैं,लेकिन सार्वजनिक मंचों से कुछ भी कहने से कतराते हैं।
कुछ समय पहले सहिष्‍णुता के मसले पर आमिर खान और शाह रूख खान के खिलाफ चढ़ी त्‍योरियां सभी को याद होंगी। गौर करें तो एक जिम्‍मेदार नागरिक के तौर पर उन्‍होंने अपना सहज पक्ष रखा था,लेकिन उन्‍हें लोकप्रिय राजनीति के समर्थकों की नाराजगी का शिकार होना पड़ा। उसके बाद से फिल्‍म सेलिब्रिटी ने खामोश रहने या कुछ न कहने का ढोंग ओढ़ लिया है। डर से वे जरूरी मुद्दों पर स्‍वीकृत राय रखने से भी हिचकते हें। राब्‍ता के ट्रेलर लांच में एक पत्रकार के यह पूछने पर कि कुलभूषण जाधव को पाकिस्‍तान में मिली फांसी की सजा पर आप सभी की क्‍या राय है? उन्‍होंने कुछ भी कहने के बजाए सवाल को टाला। यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर दो राय की गुंजाइश नहीं है। एक स्‍वर से पूरा देश चाहता है कि कुलभूषण जाधव सुरक्षित भारत लौटें। भारत सरकार इस मसले को गंभीरता से ले रही है। अपनी नादानी में ट्रेलर लांच में शरीक फिल्‍म स्‍टारों ने चुप्‍पी साधी। सवाल को टाला और दोबारा जोर देने पर भिड़ गए कि इस मुद्ृदे की हमें सही जानकारी नहीं है। यह भी कहा गया कि ट्रेलर लांच में ऐसे सवाल नहीं पूछे जाने चाहिए।
अगला सवाल बनता है कि सार्वजनिक व्‍यक्तियों से कोई सवाल कब पूछा जाए? ऐसी कोई संहिता नहीं है। सार्वजनिक मंचों पर किसी इवेंट में ही ऐसे सवाल पूछे जा सकते हैं। मुमकिन है कि सेलिब्रिटी किसी मुद्दे से वाकिफ न हों। वैसे ममामले पर वे ईमानदारी से अपनी अनभिज्ञता जाहिर कर सकते हैं,लेकिन कन्‍नी काटना तो उचित नहीं है। अब तो ऐसा समय आ गया है कि सभी सेलिब्रिटी को आसपास की घटनाओं और गतिविधियों पर नजर रखनी होगी। उन्‍हें तैयार रहना होगा। जरूरत पड़े तो उन्‍हें सामान्‍य ज्ञान और सामयिक घटनाओं की अद्यतन जानकारी के लिए सलाहकार भी रखनी होगी। सेलिब्रिटी होने के बाद उनसे अपेक्षा बढ़ जाती है कि वे सभी विषयों की सामान्‍य जानकारी रखें। इन दिनों तो फोरम और सेमिनार में चिंतको,अध्‍येताओं और विचारकों के साथ उन्‍हें बुलाया जाने लगा है। उनके व्‍यावहारिक ज्ञान को भी महत्‍व दिया जा रहा है।
यह तटस्‍थ्र या निष्‍पक्ष रहने का समय नहीं है। निष्‍पक्षता वास्‍तव में विवादों से बचने का कवच है। अमिताभ बच्‍चन अपने ब्‍लॉग पर हमेशा सेलिब्रिटी होने की चुनौतियों पर लिखते हैं। वे मानते हैं कि हमें इसके लिए तैयार रहना चाहिए। गालियों और निंदा के रूप में मिले खट्टे बादामों का भी स्‍वाद लेना चाहिए। सच में सेलिब्रिटी घोर असुरक्षित व्‍यक्ति होता है,जो हर वक्‍त सभी के निशाने पर रहता है। सेलिब्रिटी की निजता लगभग खत्‍म हो जाती है। हमेशा उसकी स्‍क्रूटनी चल रही होती है। जाहिर है कि ऐसी स्थिति में उन्‍हें अपना पक्ष मजबूत रखना चाहिए और उसके लिए सामाजिक सरोकार बढ़ाना चाहिए।

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