रोज़ाना : अनारकली... को मिल रहे दर्शक



रोज़ाना
अनारकली... को मिल रहे दर्शक
-अजय ब्रह्मात्‍मज
हाल ही में अनारकली ऑफ आरा के निर्माता संदीप कपूर और निर्देशक अविनाश दास ने सोशल मीडिया पर शेयर किया कि उनकी फिल्‍म पांचवें हफ्ते में प्रवेश कर गई है। दिल्‍ली और मुंबई के कुछ थिएटरों में वह अभी तक चल रही है। रांची और जामनगर में वह इस हफ्ते लगी है। किसी स्‍वतंत्र और छोटी फिल्‍म की यह खुशखबर खुद में बड़ी खबर है। हम सभी जानते हैं कि छोटी फिल्‍मों का वितरण और प्रदर्शन एक बड़ी समस्‍या है। पीवीआर के साथ होने पर भी अनारकली ऑफ आरा केवल 277 स्‍क्रीन में रिलीज हुई थी। इस सीमित रिलीज को भी उम्‍त कंपनी ने कायदे से प्रचारित और प्रदर्शित नहीं किया था।
मजेदार तथ्‍य है कि मुंबई में अंधेरी स्थित पीवीआर के एक थिएटर में इम्तियाज अली ने यह फिल्‍म देखी। फिल्‍म देखने के बाद उन्‍होंने निर्देशक अविनाश दास के साथ सेल्‍फी लेने के लिए फिल्‍म के पोस्‍टर या स्‍टैंडी की खाज की तो वह नदारद...उन्‍होंने ताकीद की तो थिएटर के कर्मचारियों ने स्‍टैंडी का इंतजाम किया। तात्‍पर्य यह कों की रुचि कैसी बढ़गी? बहरहाल,अनारकली ऑफ आरा दर्शकों के समर्थन से अभी तक थिएटर में बद्रीनाथ की दुल्‍हनिया और जॉली एलएलबी2 के साथ टिकी है।
फिल्‍म के विषय के अनुरूप संभावित दर्शकों को टारगेट किया जाता तो इस फिल्‍म को ज्‍यादा दर्शक मिले होते। हर फिल्‍म के खास दर्शक होते हैं। अगर उन दर्शकों के बीच फिल्‍म पहुंच जाए तो उसे लाभ होता है। अनारकली ऑफ आरा मुख्‍य रूप से दिल्‍ली और मुंबई में रिलीज की गई। फिल्‍म के विषय के मुताबिक इसे मझोले और छोटे शहरों में आक्रामक प्रचार के साथ प्रदर्शित किया जाता तो आंकड़े कुछ और होते। दर्शक तो अब भी संकेत दे रहे हैं। अगर इसे नए उत्‍साह और प्रचार के साथ नए शहरों में रिलीज किया जाए तो अवश्‍य ही दर्शक मिलेंगे। अनारकली ऑफ आरा नया उदाहरण पेश करेगी।
सीमित बजट और साधनों के साथ बनी यह फिल्‍म अपने कंटेंट और स्‍वरा भास्‍कर की अदाकारी की वजह से खूब पसंद की गई है। हाल-फिलहाल में किसी दूसरे फिल्‍मकार पर पत्र-पत्रिकाओं में इतना लिखा भी नहीं गया है। यह फिल्‍म आम दर्शकों को टच करती है। सहमति के सवाल को प्रासंगिक संदर्भ में सटीक तरीके से उठाती ंयह फिल्‍म हिंदी सिनेमा के देशज स्‍वर को मुखर करती है। यही वजह है कि इस फिल्‍म के दर्शक बढ़ रहे हैं।
अनारकली ऑफ आरा भाषा,परिवेश और अदाकारी के लि‍हाज से बिहार लक्षणों की खांटी हिंदी फिल्‍म है।

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