रोज़ाना : बारिश के बहाने गाए तराने



रोज़ाना
बारिश के बहाने गाए तराने
-अजय ब्रह्मात्‍मज
हर मानसून में दो-तीन बार ऐसा होता है कि बारिश की बूंदें समुद्र की लहरों के साथ मिल कर मुंबई शहर के पोर-पोर  को आगोश में लेने के लिए बेताब थीं। दो दिनों चल रही बूंदाबांदी ने मूसलाधार रूप लिया और शहर के यातायात को अस्‍त-व्‍यस्‍त कर दिया। देापहर होने तक पुलिस महकमे से चेतावनी जारी हो गई। संदेश दिया गया कि बहुत जरूरी न हो तो घर से नहीं निकलें। सुबह दफ्तरों को निकल चुके मुंबईकरों के लिए घर लौटना मुश्किल काम रहा। सोशल मीडिया पर अनेक संदेश आने लगे। सभी बारिश में फंसे अपने दोस्‍तों को घर बुलाने लगे। गणेश पूजा के पंडालों ने मुंबईकरों के लिए चाय-पानी और भोजन की खास व्‍यवस्‍था की। यही इस शहर का मिजाज है। बगैर आह्वान के ही सभी नागरिक अपने तई तत्‍पर रहते हैं मदद के लिए।
हिंदी फिल्‍मों में बारिश की ऐसी आपदा नहीं दिखती। फिल्‍मों में बारिश रोमांस अज्ञेर प्रेम का पर्याय है। शुरू से ही बादलों के गरजने और बिजली के चमकने के साथ अकस्‍मात बारिश होने लगती है। हीरो-हीरोइन बारिश का आनंद उठाने के साथ रोमांटिक खयालों में खो जाते हैं। उनके सोए और अनकहे जज्‍बात बारिश के बहाने तराने के रूप में गूंजने लगते हैं। पहले हीरो-हीरोइन की नजदीकियां बढ़ाने और दिखाने के लिए बारिश के दृश्‍य रखने का चलन आम था। ऐसे दृश्‍यों में दोनों की गीली चाहत बरसात में भीग कर भड़कने लगती है। हीरोइन पहले साड़ी और अब किसी भी लिबास में तरबतर होकर हीरो के साथ-साथ पुरुष दर्शकों लुभाती है। समर्थ और अनुभवी फिल्‍मकारों ने इसे सौंदर्य से परिपूर्ण रखा तो चालू फिल्‍मकारों ने कल्‍पना के अभाव में देह प्रदर्शन से दर्शकों को उत्‍तेजित किया। अप्रोच जो भी रहा,निशाने पर फिल्‍म की हीरोइनें रहीं। उन्‍हें मादक अंदाज में पेश कर दर्शकों की दबी और कुंठित भावनाओं को सुलगाया गया। यह अचानक नहीं हुआ है कि अब हिंदी फिल्‍मों में बारिश के दृश्‍य और गाने नहीं के बराबर हो गए हैं। फिल्‍मों में रोमांस का नजरिया और रवैया बदल चुका है।
हिंदी फिल्‍मों में बरसात के गानों पर रिसर्च होना चाहिए। ज्‍यादातर गानों में रोमांस के साथ हीरो-हीरोइन की कामुक इच्‍छाओं को शब्‍द दिया गया है। यों लगता है कि बरसों की दबी ख्‍वाहिश पूरा करने का वक्‍त आ गया है। रिमझिम गिरे सावन,सुलग सुलग जाए मन,बरखा रानी जरा जम के बरसो,भीगी भीगी रुत में तुम हम हम तुम,भीगी भीगी रातों में ऐसी बरसातों में,गी आज सावन की ऐसी झड़ी है जैसे अनेक गीतों के उदाहरण लिए जा सकते हैं। कुछ फिल्‍मों में जरूर बारिश का रिश्‍ता खेती और खुशहाली से जोड़ा गया,लेकिन ऐसी फिल्‍में और दृश्‍य बेहद कम हैं।
  

Comments

Popular posts from this blog

तो शुरू करें

फिल्म समीक्षा: 3 इडियट

फिल्‍म समीक्षा : आई एम कलाम