शम्मी आंटी : वात्‍सल्‍य छलकता था उनकी चहकती आवाज में



वात्‍सल्‍य छलकता था उनकी चहकती आवाज में
-अजय ब्रह्मात्‍मज
सुबह-सुबह खबर मिली कि शम्‍मी आंटी नहीं रहीं। बीमारी और मौत की खबरों से मन कांप जाता है। परसों दोपहर के बाद से अनेक परिचित और अपरिचित व्‍यक्तियों के फोन और संदेश आ रहे थे कि इरफान को क्‍या हुआ है? दरअसल,कल दोपहर में इर फान ने किसी प्रकार के अनुमान,आशंका और कयास से सचेत करने के लिए ट्वीट कर दिया था कि अभी उनकी दुर्लभ बीमारी की जांच चल रही है। डॉक्‍टर से पहले ही बीमारी के बारे में जानने के लिए बेताब मीडिया मित्रों का क्‍या कहें? सुबह जब एक दोस्‍त ने हेलो कहते ही जब कहा कि एक बुरी खबर है तो मन आशंकित होकर लरज गया। डर लगा कि कहीं इरफान की कोई खबर न हो? उन्‍होंने बगैर पॉज लिए बताया कि शम्‍मी आंटी नहीं रहीं तो भी दुख तारी हुआ,लेकिन वह इतना भारी नहीं था। वह लंबे समय से बीमार थीं। इन दिनों अपने दत्‍तक पुत्र इकबाल रिज़वी के साथ मुंबई के अंधेरी इलाके में मिल्‍लत नगर में रह रही थीं।
कहते हैं शम्‍मी कपूर के आने के बाद उन्‍होंने खुद को शम्‍मी आंटी कहलाना पसंद किया। वह जगत आंटी थीं। उनके समकालीन भी उन्‍हें शम्‍मी आंटी ही पुकारते थे। हिंदी फिल्‍म इंडस्‍ट्री में वह मुझे गांव-घर की उस आंटी(मौसी,बुआ) ही लगती थीं। सभी से प्‍यार से मिलना और पूरे लगाव से हाल-चाल पूछना। उनसे मिलने पर किसी अपने से मिलने का अहसास होता था। पर्दे पर भी उनकी यही छवि लोकप्रिय हुई। कभी किसी इवेंट में वह सखी-सहेलियों के साथ आ जाती थीं तो उनकी चहकती आवाज उछल कर कानों में पड़ती थी। सामान्‍य चाल और व्‍यवहार में भी वह मटकती थीं और उनकी बातचीत में यह छलकाव सुनाई पड़ता था। उनकी चहकती आवाज में वात्‍सल्‍य छलकता था। जन्‍म से पारसी होने की वजह से उनके उच्‍चारण में एक अलग लोच थी। हालांकि पहली फिल्‍म ‘उस्‍ताद पेड्रो’ के लिए चुनते समय शेख मुख्‍तार ने उनसे पहला सवाल यही किया था कि क्‍या वह हिंदी बोल सकती हैं? उन्‍होंले तत्‍क्षण अपनी हिंदी से उन्‍हें अवाक कर दिया था। वह मुकेश की फिल्‍म ‘मल्‍हार’ की हीरोइन रहीं। उन्‍होंने नायिका और सहनायिका की भूमिकाएं निभाने के बाद चरित्र भूमिकाओं को स्‍वीकार कर लिया था। इसका फायदा यह हुआ कि ‘शीरीं फरहाद की तो निकल पड़ी’ तक वह फिल्‍मों में सक्रिय रहीं। कम लोग जानते हैं कि उनका असली नाम नरगिस रबाड़ी था। शेख मुख्‍तार ने मशहूर अदाकारा नरगिस की वजह से उनका नाम बदल कर शम्‍मी कर दिया था। वह नरगिस की प्‍यारी दोस्‍त रहीं। कल प्रिया दत्‍त ने भी मां से उनकी निकटता की याद दिलाई।
कल अमिताभ बच्‍चन ने उनके निधन के बारे में ट्वीट किया था ‘स्‍लोली स्‍लोली दे ऑल गो अवे’। जिंदगी की इस सच्‍चाई को स्‍वीकार करने के साथ हमें शम्‍मी आंटी को याद करना चाहिए। उन्‍हें कोई उल्‍लेखनीय पुरस्‍कार और सम्‍मन नहीं मिला,लेकिन वह फिल्‍म इंडस्‍ट्री में सभी की चहेती ‘आंटी’ रहीं। उनसे हुई चंद मुलाकातें हमेशा उनकी यादों को जिंदा रखेंगी।
(जन्‍मतिथि 29.04.1929 पुण्‍यतिथि 06.03.2018)


Comments

Popular posts from this blog

तो शुरू करें

फिल्म समीक्षा: 3 इडियट

फिल्‍म समीक्षा : आई एम कलाम