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सुशांत सिंह राजपूत की 'ब्‍योमकेश बख्‍शी' बनने की तैयारी

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-अजय ब्रह्मात्मज देश में इस साल जबरदस्त मॉनसून आया हुआ है और इसके छींटे कोलकाता की गलियों और सडक़ों को मंगलवार को भीगो रहे थे। ठहरा शहर कुछ और थमकर चल रहा था। शहर की इस मद्धिम चाल के बीच भी ‘पार्क स्ट्रीट’ के पास शरगोशियां चालू थीं। मौका था ‘ब्योमकेश बख्शी’ के नायक सुशांत सिंह राजपूत के मीडिया से रू-ब-रू होने का। सुशांत सिंह राजपूत और दिबाकर बनर्जी ने मीडियाकर्मियों के साथ धरमतल्ला से खिदिरपुर तक की ट्राम यात्रा की। इस फिल्म में कोलकाता से जुड़ी पांच-छह दशक पुरानी कई चीजें देखने को मिलेंगी।     एक सवाल के जवाब में सुशांत ने बताया कि मैं छह दिन पहले से कोलकाता में हूं। इस दरम्यान वे डिटेक्टिव ब्योमकेश के व्यक्तित्व को साकार करने के लिए स्थानीय लोगों से मिलकर बात-व्यवहार सीख रहे हैं। गौरतलब है कि दिबाकर बनर्जी की फिल्म ब्योमकेश बख्शी में वे पांचवे दशक के आरंभ(1942 के आसपास) के किरदार को निभा रहे हैं। हिंदी दर्शकों के लिए यह किरदार अपरिचित नहीं है। दूरदर्शन से प्रसारित इसी नाम के धारावाहिक में वे किरदार से मिल चुके हैं। सालों बाद दिबाकर बनर्जी को किशोरावस्था में पढ़े शर्दिंदु बनर्जी

फिल्‍म समीक्षा : इशकजादे

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मसालेदार फार्मूले में रची -अजय ब्रह्मात्‍मज एक काल्पनिक बस्ती है अलमोर। लखनऊ के आसपास कहीं होगी। वहां कुरैशी और चौहान परिवार रहते हैं। जमींदार,जागीरदार और रईस तो अब रहे नहीं,इसलिए सुविधा के लिए उन्हें राजनीति में दिखा दिया गया है। कुरैशी परिवार के मुखिया अभी एमएलए है। चुनाव सिर पर है। चौहान इस बार बाजी मारना चाहते हैं। मजेदार है कि दोनों निर्दलीय हैं। देश में अब कौन से विधान सभा क्षेत्र बचे हैं,जहां राजनीतिक पाटियों का दबदबा न हो? निर्दलियों के जीतने के बाद भी उनके झंडे और नेता तो नजर आने चाहिए थे। देश में समस्या है कि काल्पनिक किरदारों को किसी पार्टी का नहीं बताया जा सकता। कौन आफत मोल ले? दोनों दुश्मन परिवारों के नई पीढ़ी जवान हो चुकी है। इशकजादे का नायक चौहान परिवार का है और नायिका कुरैशी परिवार की। यहां से कहानी शुरू होती है। परमा और जोया लंपट और बदतमीज किस्म के नौजवान हैं। हिंदी फिल्मों के नायक-नायिका के प्रेम के लिए जरूरी अदतमीजी में दोनों काबिल हैं। उन्हें कट्टे और पिस्तौल से प्यार है। मनमानी करने में ही उनकी मौज होती है। दोनों परिवारों में बच्चों को बचपन स