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दरअसल : ट्रेलर लांच के दुखद पहलू

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-अजय ब्रह्मात्‍मज     पहले केवल फिल्‍म आरंभ होने के पहले ट्रेलर दिखाए जाते थे। चल रही फिल्‍म के साथ आगामी फिल्‍म के इन ट्रेलर का बड़ा आकर्षण होता था। दर्शकों को फिल्‍मों की झलक मिल जाती थी। मुझे लगता है कि पहले दर्शक फिल्‍मों को लेकर जजमेंटल नहीं होते थे। वे सभी फिल्‍में देखते थे। प्रति फिल्‍म दर्शकों का प्रतिशत अधिक रहता होगा। इसके समर्थन में मेरे पास कोई सबूत नहीं है। अपने दोस्‍तों और रिश्‍तेदारों के बचपन की बातों से इस निष्‍कर्ष पर पहुंचा हूं। तब फिल्‍में अच्‍छी या बुरी होने के बजाय अच्‍छी और ज्‍यादा अच्‍छी होती थीं। तात्‍पर्य यह कि दर्शक सीधे फिल्‍में देखते थे। वे उसके प्रचार या मार्केटिंग से प्रभावित नहीं होते थे। तब ऐसा आक्रामक प्रचार भी तो नहीं होता था।     ट्रेलर के बारे में कहा जाता है कि यह पहले फिल्‍में खत्‍म होने के बाद दिखाया जाता था। पीछे दिखए जाने की वजह से इसे ट्रेलर कहा जाता था। प्रदर्शकों और निर्माताओं ने पाया कि दर्शक ट्रेलर देखने के लिए नहीं रुकते। वे फिल्‍में खत्‍म होते ही सीटें छोड़ कर दरवाजे की तरफ निकल जाते हैं। लिहाजा इसे फिल्‍में आरंभ होने के पहले दिखा