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बाजी मेरे हाथ - रणवीर सिंह

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-अजय ब्रह्मात्‍मज       रणवीर सिंह की ‘ बाजीराव मस्‍तानी ’ 100 करोड़ी क्‍लब में जा चुकी है। उससे भी बड़ी उपलब्धि है कि सभी उनकी भूमिका और अभिनय की तारीफ कर रहे हैं। बहुत कम ऐसा होता है,जब किरदार और कलाकार दोनों ही दर्शकों को पसंद आ जाएं। दरअसल,लोकप्रियता की यह द्वंद्वात्‍मक प्रक्रिया है। इस फिल्‍म की सफलता और सराहना से रणवीर सिंह अपनी पीढ़ी के संभावनाशील अभिनेता के तौर पर उभरे हैं। इस पहचान ने उनकी एनर्जी को नया आयाम दे दिया है। उनकी अगली फिल्‍म आदित्‍य चोपड़ा के निर्देशन में आ रही ‘ बेफिकरे ’ है।     फिलहाल वे लंबी छ़ुट्टी पर निकल चुके हैं। इस छ़ुट्टी में ही वे ‘ बेफिकरे ’ के लुक और परिधान की तैयारी करेंगे। बाजीराव के किरदार से बाहर निकलने के लिए भी जरूरी है कि वे थोड़ा आराम करें। अपने अंदर से उसे उलीचें और फिर नए किरदार को आत्‍मसात करें। वे उत्‍साहित हैं कि उन्‍हें आदित्‍य चोपड़ा के साथ काम करने का मौका मिल रहा है। कम लोग जानते हैं कि आदित्‍य चोपड़ा उनके खास मेंटोर है। उनके करिअर के अहम फैसले भी वाईआरएफ(यशराज फिल्‍म्‍स) टैलेंट टीम की सलाह से लिए जाते हैं। ‘ बैंड बाजा

प्‍यार का कोई धर्म नहीं होता - संजय लीला भंसाली

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-अजय ब्रह्मात्‍मज   ‘ बाजीराव मस्‍तानी ’ की रिलीज के बाद 16 घंटों की नींद के बाद जागे निर्देशक संजय लीला भंसाली को मित्रों ने बताया कि उनकी फिल्‍म को जबरदस्‍त सराहना मिल रही है। फिर भी पहले दिन का कलेक्‍शन उन्‍हें उदास कर गया। दूसरे दिन दर्शकों के रुझान का पता चला। भंसाली भी उत्‍साहित हुए। फिल्‍म की रिलीज के पहले व्‍यस्‍तता की वजह से बात न कर पाने की उन्‍होंने अब भरपाई की। हमारे लिए भी अच्‍छा मौका था कि यह बातचीत फिल्‍म देखने की बाद हुई। इस बातचीत में संजय लीला भंसाली ने अपना पक्ष रखा... -बाजीराव पेशवा पर फिल्म बनाने की क्यों सोची आप ने ? 0 बाजीराव ने चालीस लड़ाइयां जीती थी। इसके बावजूद उन्हें अपने परिवार के सामने हथियार डालने पड़े थे। इस विचार ने मुझे मोहित कर लिया। अपने प्यार और परिवार के संतुलन में उन्‍होंने कुर्बानियां दीं। उन्‍होंने भी संघर्षपूर्ण जिंदगी जी। हिंदुस्तान में या कहीं भी कोई व्‍यक्ति जब नई सोच लेकर आता है तो उसे रोकने की कोशिश की जाती है। हम लोग अच्छी चीजों को अपनाते ही नहीं हैं। यह उस वक्त भी होता था। यह आज भी हो रहा है। मैं मराठी कल्‍चर से जु

हिज़्र का रंग औऱ बाजीराव मस्तानी... - विमलेश शर्मा

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अजमेर की विमलेश शर्मा ने 'बाजराव मस्‍तानी' के बारे में लिखा है। पकरख्‍य मिलते ही उनके बारे में विस्‍तार से बजाऊंगा।                मराठा योद्धा बाजीराव औऱ दीवानी मस्तानी के किरदार को जिस भव्यता औऱ सहजता के मिश्रण के साथ संजय लीला भंसाली ने उतारा है शायद ही कोई औऱ उतार पाता। मराठी उपन्यास राव पर आधारित यह फिळ्म इतिहास में कल्पना को कुछ यूँ परोसती है जैसे कि दिसम्बर के महीने की ठंड घुली धूप । पेशवा के सामने गुहार से शुरू हुआ बाजीराव मस्तानी का प्रथम साक्षात्कार अंत तक उसी उष्णता के साथ फिल्म में   बना रहता है।     प्रेम इस फिल्म की आत्मा है औऱ यह अंत तक हर मन को बाँधे रखता है। बाजीराव वाकई एक बहादुर   योद्धा है, एक   पति हैं, एक समर्पित प्रेमी   है औऱ एक जिम्मेदार पति भी । इन सबके बावजूद यहाँ जो रूप सर्वथा मुखर है वह है एक प्रेमी। जो योद्धा होकर भी , बाहर से सख्त होकर भी ओस की बूँदों को थामना जानता है। हवाओं के रूख को पहचानता है और प्रेम को धर्म , समाज औऱ तमाम मान्यताओं से आगे जाकर देखता है। इतिहास में   हिन्दु पद पादशाही की स्थापना करने वाला यह योद्धा पूरे प्राण प्रण

फिल्‍म समीक्षा : बाजीराव मस्‍तानी

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-अजय ब्रह्मात्‍मज कल्‍पना और साक्ष्‍य का भव्‍य संयोग       यह कहानी उस समय की है,जब मराठा साम्राज्‍य का ध्‍वज छत्रपति साहूजी महाराज के हाथों में लहरा रहा था और जिनके पेशवा थे बाजीराव वल्हाड़। तलवार में बिजली सी हरकत और इरादों में हिमालय की अटलता,चितपावन कुल के ब्राह्मनों का तेज और आंखों में एक ही सपना... दिल्‍ली के तख्‍त पर लहराता हुआ मराठाओं का ध्‍वज। कुशल नेतृत्‍व,बेजोड़ राजनीति और अकल्‍पनीय युद्ध कौशल से दस सालों में बाजीराव ने आधे हिंदुस्‍तान पर अपना कब्‍जा जमा लिया। दक्षिण में निजाम से लेकर दिल्‍ली के मुगल दरबार तक उसकी बहादुरी के चर्चे होने लगे।        इस राजनीतिक पृष्‍ठभूमि में रची गई संजय लीला भंसाली की ऐतिहासिक प्रेमकहानी है ‘ बाजीराव मस्‍तानी ’ । बहादुर बाजीराव और उतनी ही बहादुर मस्‍तानी की यह प्रेमकहानी छोटी सी है। अपराजेय मराठा योद्धा बाजीराव और  बुंदेलखंड की बहादुर राजकुमारी मस्‍तानी के बीच इश्‍क हो जाता है। बाजीराव अपनी कटार मस्‍तानी को भेंट करता है। बुंदेलखंड की परंपरा में कटार देने का मतलब शादी करना होता है। मस्‍तानी पुणे के लिए रवाना होती है ताकि बा

पंख पसारना चाहती हूं - प्रियंका चोपड़ा

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-अजय ब्रह्मात्‍मज प्रियंका चोपड़ा संजय लीला भंसाली की ‘ बाजीराव मस्‍तानी ’ में काशीबाई की भूमिका निभा रही हैं। अमेरिकी टीवी शो ‘ क्‍वैंटिको ’ की शूटिंग की व्‍यस्‍तता के कारण इस फिल्‍म के प्रमोशन में उनकी सीमित सक्रियता है। फिर भी मांट्रियल से उन्‍होंने दैनिक जागरण के अजय ब्रह्मात्‍मज से बात की। -पहला सवाल तो यही कि काशीबाई की भूमिका कैसे मिली ? 0 मैं दार्जीलिंग में ‘ मैरी कॉम ’ की शूटिंग कर रही थी। वहीं संजय सर का संदेश मिला कि वे मिलना चाहते हैं। उनके लेखक प्रकाश भाई ने मुझे नैरेशन दिया। मुझे काशीबाई का किरदार इसलिए अच्‍छा लगा कि उनके बारे में अधिक जानकारी नहीं है। बाजीराव और मस्‍तानी के बारे में सभी जानते हैं। किसी ने सोचा ही नहीं कि काशी का क्‍या हुआ ? मेरे पास कोई रेफरेंस पाइंट नहीं था कि उनके दिल पर क्‍या बीती होगी ? उनके बारे में रहस्‍य बना हुआ है। -किस तरह का रहस्‍य है ? 0 बाजीराव के बारे में सभी जानते हैं कि वह अराजेय योद्धा था। मस्‍तानी की प्रेमकहानी भी लोग जानते हैं। बाजीराव घर तो आते होंगे। तब क्‍या होता था ?  उनकी पर्सनल लाइफ कैसी थी ? संजय सर ने

अलग है मेरा तरीका -रणवीर सिंह

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-अजय ब्रह्मात्मज अभिनेता रणवीर सिंह की अदाकारी में लगातार निखार आ रहा है। संजय लीला भंसाली के संग वे साल की बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘बाजीराव मस्तानी’ लेकर आ रहे हैं। - क्या बाजीराव ने मस्तानी से मोहब्बत की है? जी हां, बाजीराव ने मस्तानी से मोहब्बत की है, अय्याशी नहीं। वह बार-बार ऐसा कहता रहता है, क्योंकि कई लोग ऐसे हैं, जो उनकी मुहब्बत के खिलाफ हैं। लिहाजा वह चाहता है कि लोग उनके रिश्ते को समझें व उसका सम्मान करें। -संजय लीला भंसाली के व इतिहास के बाजीराव में कितना अंतर है? या फिर दोनों को एक जैसा ही रखा गया है? एक किताब है ‘पेशवा घराण्याचां इतिहास’। उसमें दर्ज कहानी को संजय सर ने खूबसूरती से दर्शाया है। फिल्म उस किताब पर आधारित है। बाजीराव और मस्तानी के बारे में जो व्याख्या वहां की गई है, उसे ही फिक्शन की शक्ल दी गई है। वे यह नहीं कह रहे हैैं कि दोनों के रिश्तों की कशमकश असल में भी वैसी ही रही होगी, जैसा फिल्म में है। -बाजीराव आपके लिए क्या हैैं? मैैंने स्कूल में केवल शिवाजी महाराज के इतिहास के बारे में पढ़ा था। पेशवा बाजीराव के बारे में पूर्ण विवरण नहीं दिया गया था। उनके बारे में ज

दरअसल : बाजीराव मस्‍तानी का आईना महल

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-अजय ब्रह्मात्‍मज     संजय लीला भंसाली अपनी पीढ़ी के अकेले फिल्‍मकार है,जो संवेदना और सौंदर्य के साथ फिल्‍में बनाते हैं। उनकी फिल्‍मों में भव्‍यता के साथ सौंदर्य भी रहता है। यह सौंदर्य सेट,लोकेशन,कलाकार,किरदार,गीत-संगीत सभी में अलग-अलग स्‍तर और रूपों में दिखता है। उनकी फिल्‍में हिंदी फिल्‍मों की परंपरा का निर्वहन करती हैं। साथ ही वे दृश्‍यों और चरित्रों के निरूपण में अपनी खास सौंदर्य दृष्टि का उपयोग करते हैं। संजय की फिल्‍मों में नायिकाओं का सौंदर्य निखर जाता है। उनके साथ काम कर चुकी सभी अभिनेत्रियों ने यह स्‍वीकार किया है कि संजय के फिल्‍मों में वे सर्वाधिक सम्‍मोहक दिखती हैं। मनीषा कोईराला से लेकर दीपिका पादुकोण और प्रियंका चोपड़ा तक इसे दोहराती हैं। संजय लीला भंसाली की ‘ बाजीराव मस्‍तानी ’ में दोनों अभिनेत्रियां बाजीराव बने रणवीर सिंह के साथ दिखेंगी। दीपिका मस्‍तानी और प्रियंका काशी बाई की भूमिका निभा रही हैं।     संजय लीला भंसाली सेट पर हों या लोकेशन पर...दोनों ही स्थितियों में वे परिवेश की सुदरता को उसकी गहराई के साथ अपनी फिल्‍मों में ले आते हैं। उनकी हर फिल्‍म में इस ग