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सिनेमालोक : मजबूत होता डिजिटल प्‍लेटफार्म

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सिनेमालोक मजबूत हो ता डि जि टल प्‍लेटफार्म -अजय ब्रह्मात्‍मज निश्चित ही 2020 तक मनोरंजन के माध्‍यमों में तेजी से बदलाव आएगा। इंटरनेट की सुविधा और उपयोग की प्रवृति बढ़ने के बाद महसूस किया जा रहा कि देश के दर्शकों के पास मनोरंजन के एकमात्र विकल्‍प सिनेमा की लाचारी नहीं रह जाएगी। यह बदलाव परिलक्षित होने लगा है। दर्शकों की बदलती रुचि को भांप कर पुराने खिलाडि़यों ने कमर कस लिए हैं और नए खिलाड़ी उन्‍हें चुनौती दे रहे हैं। देश में मनोरंजन के अनेक देशी-विदेशी प्‍लेटफार्म सक्रिय हैं। वे अपने तई दर्शकों को लुभाने और जुटाने की दिशा में काम कर रहे हैं। पिछले दिनों डिजिटल कंटेंट के पृथक पुरस्‍कारों का एक इवेंट हुआ। एकता कपूर को वेब पर्सन ऑफ द ईयर का खिताब भी दिया गया। तात्‍नर्य यह कि डिजिटल प्‍लेटफार्म की आहटें अब धमक के रूप में सुनाई पड़़ने लगी हैं। सिनेमा की प्रतिभाएं मुकाबले के लिए नई तरकीबों की खोज में जुट गई हैं,लेकिन दर्शकों को जहां किफायत,सुविधा और विविधता मिलेगी वे उसे अपना लेंगे। इस लिहाज से साफ दिख रहा है कि अगले दो सालों में ही डिजिटल प्‍लेटफार्म और मजबूत होंगे। अनुम

बीसवीं सदी में हिंदी सिनेमा में महिलाएं

बीसवीं सदी में हिंदी सिनेमा में महिलाएं -अजय ब्रह्मात्मज आज ८ मार्च है.पूरी दुनिया में यह दिन महिला दिवस के तौर पर मनाया जाता है.चवन्नी ने सोचा कि क्यों न सिनेमा के परदे की महिलाओं को याद करने साथ ही उन्हें रेखांकित भी किया जाए.इसी कोशिश में यह पहली कड़ी है. इरादा है कि हर दशक की चर्चित अभिनेत्रियों के बहाने हम हिन्दी सिनेमा को देखें.यह एक परिचयात्मक सीरीज़ है। तीसरा दशक सभी जानते हैं के दादा साहेब फालके की फ़िल्म ' हरिश्चंद्र तारामती ' में तारामती की भूमिका सालुंके नाम के अभिनेता ने निभाई थी.कुछ सालों के बाद फालके की ही फ़िल्म ' राम और सीता ' में उन्होंने दोनों किरदार निभाए।इस दौर में जब फिल्मों में अभिनेत्रियों की मांग बढ़ी तो सबसे पहले एंगलो-इंडियन और योरोपीय पृष्ठभूमि के परिवारों की लड़कियों ने रूचि दिखाई. केवल कानन देवी और ललिता पवार ही हिंदू परिवारों से आई थीं. उस ज़माने की सबसे चर्चित अभिनेत्री सुलोचना थीं. उनका असली नाम रूबी मेयेर्स था.कहा जाता है कि उनकी महीने की कमाई मुम्बई के तत्कालीन गवर्नर से ज्यादा थी.सुलोचना आम तौर पर शहरी कि